देवास। दो दिन पहले पुलिस लाइन से निरीक्षक नीता देहरवाल को नेमावर थाना प्रभारी के पद पर नियुक्त किया गया था। लेकिन अब उन्हें आईजी उज्जैन ने रतलाम भेज दिया है। वहीं सिविल लाइन थाना प्रभारी योगेंद्रसिंह सिसौदिया को निलंबित कर दिया था, लेकिन स्थिति साफ़ होने के बाद निलंबित टीआई को पुन: बहाल कर सिविल लाइन थाने का प्रभार दिया गया है।
गौरतलब है कि सिविल लाइन थाना प्रभारी योगेंद्रसिंह सिसौदिया ने थाने पर दर्ज धारा 306 के मुकदमे की जानकारी नवागत पुलिस कप्तान को नहीं दी थी, जिसके चलते एसपी ने उन्हें निलंबित कर दिया था। इसी बीच सिसौदिया को सरकार द्वारा रुस्तमजी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार मिलने के बाद निलंबन कारणों की जांच कराई गई, जिसमें वे निर्दोष पाए गए। लिहाजा वे बहाल कर दिये गए। जांच में पता चला कि सिसौदिया बिहार गए हुए थे, उसी दिन धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसकी जानकारी उन्हें नहीं थी।
पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस लाइन में पदस्थ निरीक्षक नीता देहरवाल को नेमावर थाना प्रभारी बना दिया गया था, लेकिन दो दिन बाद ही उज्जैन आईजी राकेश गुप्ता द्वारा उन्हें रतलाम भेज दिया गया। बताया जाता है कि नीता देहरवाल कुछ समय पूर्व इंदौर के गांधी नगर थाने पर पदस्थ थी। उस समय पुलिस द्वारा प्रताड़ित करने पर थाने में ही युवक की मौत हो गई थी और खूब बवाल मचा था। इसी के चलते नीता देहरवाल को रतलाम भेज दिया गया था। रतलाम में पदस्थ होने के बाद देहरवाल को उज्जैन आईजी राकेश गुप्ता द्वारा 11 दिसंबर को एक आदेश जारी कर अलग-अलग जिलों में पास्को एक्ट की विवेचनाधीन व लापता बालिकाओं से संबंधित प्रकरणों की जिम्मेदारी सौंपी थी और इसके लिए देवास में पदस्थ किया गया था, किंतु पुलिस अधीक्षक ने उन्हें नेमावर भेज दिया था। इस बात की जानकारी मिलने के बाद उज्जैन आईजी ने उन्हें रतलाम रवाना कर दिया।
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