देवास। राज्य कर (वाणिज्यिकर) विभाग ने फर्जी फर्मों के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) हासिल कर शासन को चूना लगाने का एक और घोटाला पकड़ा है।...
देवास। राज्य कर (वाणिज्यिकर) विभाग ने फर्जी फर्मों के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) हासिल कर शासन को चूना लगाने का एक और घोटाला पकड़ा है। विभाग की एंटी इवेजन विंग-ए ने देवास में 6 फर्मों पर छापेमार कार्रवाई की। प्रारंभिक जांच में फर्मों के फर्जी होने और घोटाले को अंजाम देने के लिए संचालित होने की पुष्टी हुई है। घोटाले के तार तेल मिलों से जुड़ रहे हैं। इंटी इवेजन विंग के 40 अधिकारियों ने एक साथ देवास में दबिश दी।
कृषि उपज मंडी में सोयाबीन का कारोबार करने वाले व्यापारियों द्वारा GST चोरी कर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, इसका खुलासा शुक्रवार को वाणिज्यिक कर विभाग की टीम द्वारा की गई छापामार कार्यवाही में हुआ है।
शुक्रवार को वाणिज्यिक कर विभाग (जीएसटी) के असिस्टेंट कमिश्नर एस.के. कतरोलिया, डिप्टी कमिश्नर रीता चतुर्वेदी के नेतृत्व में करीब 4 दर्जन अधिकारियों की टीम ने देवास में 7 प्रतिष्ठानों पर छापा मारकर देर शाम तक रिकार्ड की जांच की, जिसमें पता चला कि इन प्रतिष्ठानों पर सोयाबीन का व्यापार बल्कि फर्जी फ़र्म बना कर करोड़ों रुपये के फर्जी बिल बनाए गए और इस तरह जीएसटी व एसजीएसटी का टैक्स क्रेडिट लिया गया। टीम ने एक लैपटाप व अन्य रिकार्ड जप्त किये है, जिसकी बारीकी से जांच की जा रही है। टीम यह भी पता लगा रही है कि इन व्यापारियों द्वारा किन बड़े सोयाबीन प्लांट पर सप्लाइ किया गया है या फिर उन्हें भी फर्जी बिल प्रदाय किए गए है।
शुक्रवार को वाणिज्यिक कर विभाग की अलग-अलग टीमों ने देवास की मोहित इण्डस्ट्रीज कृषि उपज मंडी प्रांगण क्रमांक 2, कुंदन इंटरप्राइजेस उज्जैन रोड, कुंदन इंटरप्राइजेस आवास नगर, करिश्ना ट्रेडर्स बजरंग नगर देवास, लासिक इंटरप्राइजेस विकास नगर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व कुशल इंटरप्राइजेस गंगा नगर देवास पर छापामार कार्यवाही की गई। ये सभी प्रतिष्ठान सोयाबीन की खरीदी-बिक्री करते है और जांच में पता चला कि एक-दूसरे को सोयाबीन बेच रहे थे। हालांकि सोयाबीन भौतिक रूप से बेचा नहीं गया, किंतु करोड़ों रुपये के फर्जी बिल बनाए गए।
इंदौर मे पहले भी बड़ा घोटाला पकड़ा गया था
प्रारंभिक जांच में ही फर्जी बिलों से 4 करोड़ का आईटीसी हासिल करने के तथ्य मिल चुके हैं। जांच आगे बढ़ाते हुए तेल मिलों को भी दायरे में ले लिया है। आसपास की कई तेल मिलों से घोटाले के तार जुड़ रहे हैं। विभाग को शक है कि मिल वालों ने ही अपने फायदे के लिए फर्जी तरीके से इन फर्मों को खड़ा किया है। ताकि इनके जरिए टैक्स की हेरफेर को अंजाम दिया जा सके। उल्लेखनीय है कि इससे पहले जुलाई में भी वाणिज्यिकर विभाग फर्जी आईटीसी का बड़ा घोटाला इंदौर में पकड़ चुका है। उसके तार भी देश के अलग-अलग राज्यों की बड़ी फर्मों और कंपनियों से जुड़े हैं।
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