देवास। शेड बनाने के बजाय नगर निगम की भूमि पर बना लिया बहुमंजिला भवन। उक्त आरोप वरिष्ठ पार्षद दिलीप बांगर ने लगाते हुए कहा कि आम जनों के अतिक्रमण तो नगर निगम हटा रहा है तो वही स्वयं के स्वामित्व की भूमि पर बलात कब्जा धारियों की अनदेखी कर रहा है। बड़े आश्चर्य की बात है कि लाइब्रेरी संचालन के नाम पर करोड़ों रुपए कीमत की भूमि पर निगम के विरुद्ध भवन निर्माण कर वरिष्ठ नागरिक संस्था अपनी गतिविधियों को संचालित कर रही है। कोई देखने वाला नहीं है, लोक उपयोगिता हेतु सुरक्षित भूमि को मास्टर प्लान में ग्रीन क्षेत्र के रूप में सुरक्षित है। ऐसी भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण करना नगर निगम के अधिनियम के विपरीत है। ऐसी लोक उपयोगी भूमि पर बगीचे के स्थान पर भवन निर्माण नहीं किया जा सकता है।

लाइब्रेरी के बहाने कब्ज़ा किया
जिला शिक्षा केंद्र द्वारा मल्हार स्मृति कम्युनिटी हाल कक्ष में लाइब्रेरी का संचालन वर्षों से किया जाता रहा है। वरिष्ठ नागरिक संस्था ने उक्त लाइब्रेरी का संचालन करने बाबत दिनांक 16.9.2003 को जिला शिक्षा केंद्र को पत्र दिया था। पत्र अनुसार 15.1.2004 को जिला शिक्षा केंद्र ने लाइब्रेरी संचालन वरिष्ठ नागरिक संस्था को सौंपा था। वरिष्ठ नागरिक संस्था अध्यक्ष ने अपने राजनैतिक प्रभाव का उपयोग कर नगर निगम परिषद के साधारण बैठक में संकल्प पत्र क्रमांक 56 दिनांक 16.9.2006 कोट टाटा उद्यान मल्हार स्मृति पार्क स्थल पर 25 बॉय 40 वर्ग फिट भूमि पर शेड निर्माण की स्वीकृति प्राप्त करना दस्तावेजों में दर्शाया है।
निगम अधिनियम के खिलाफ
नगर पालिका अधिनियम 1956 के अनुसार निगमायुक्त से लेकर एमआईसी एवं निगम परिषद को लोक उपयोगिता हेतु सुरक्षित भूमि पर मात्र बगीचे के अलावा अन्य कार्य हेतु उपयोग करने की स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार नहीं है। ऐसी दशा में परिषद साधारण बैठक का संकल्प भी नीति संगत नहीं है। वरिष्ठ नागरिक संस्थान बिना नगर निगम की स्वीकृति के भवन का निर्माण बाले-बाले कर लिया। जिसकी जानकारी नगर निगम से आरटीआई के तहत चाही गई तो नगर निगम ने इस बाबत कोई रिकॉर्ड विभाग में नहीं होना बताया। बांगर ने बताया की जब मैंने निगम परिषद सम्मेलन में यहां प्रश्न उठाया तो निगम के लोक निर्माण विभाग ने अध्यक्ष वरिष्ठ नागरिक संस्था को सूचना पत्र क्रमांक 216 दिनांक 7.2.2019 से संस्था से जानकारी आवंटित भूमि एवं भवन निर्माण की अनुमति उपलब्ध कराने का कहा और आश्चर्य का विषय है कि भूमि स्वामी को नहीं मालूम कि स्वयं की भूमि पर भवन कैसे बना।
आज शहर में निगम स्वामित्व की प्रॉपर्टी की खरीदी बिक्री का सौदा बेरोक टोक चल रहा हैं। निगम के स्वामित्व के निर्मित मार्केट की दुकानें लाखों रुपयों में बेची खरीदी जा रही है और निगम आंखें मूंदे देख रहा है। एमजी रोड पर स्थित एक मार्केट जो जर्जर अवस्था में होने से निगम परिषद ने तत्काल उसे तोडने का निर्णय किया था। उक्त मार्केट के व्यापारियों ने बिना निगम स्वीकृति के स्वयं के पैसे से उसे रिपेयर करा लिया और अधिकारी देखते रहे। वरिष्ठ नागरिक संस्था द्वारा अवैधानिक तरीके से निगम विरुद्ध निर्मित भवन को तत्काल रिक्त कराने बाबत लिखित शिकायत 22 अगस्त को निगम आयुक्त एवं शासन से की है।
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