देवास। कपिलधारा योजना में सरपंच और सचिव द्वारा हितग्राही के नाम से एक लाख रुपए की हेराफेरी करना भारी बड़ा। न्यायालय ने सरपंच और सचिव को 7-7 साल की सजा और पचास हज़ार का जुर्माना किया है।
क्या था मामला
कृषक (हितग्राही) गजराज सिंह मकवाना निवासी ग्राम पंचायत आगरोद के पास ग्राम आगरोद में लगभग 8.50 बीघा कृषि भूमि है, परन्तु उक्त भूमि पर सिचांई के साधन नहीं होने से पडौसी कृषक से पानी लेकर सिचांई की जाती थी। कृषक की उक्त भूमि पर सिचाई के कोई साधन ना होने से हितग्राही गजराज सिंह द्वारा ग्राम पंचायत आगरोद में कपिल धारा योजना के तहत कूप निर्माण स्वीकृत कराई जाने हेतु आवेदन किया था। उक्त आवेदन के आधार पर ग्राम पंचायत आगरोद द्वारा ग्राम सभा के ठहराव प्रस्ताव कर कूप निर्माण के लिये अनुशंसा की गयी थी। ग्राम सभा के प्रस्ताव के अनुसार हितग्राही गजराज सिंह मकवाना को कूप निर्माण हेतु उपयंत्री ग्रामीण यंत्री की सेवा जनपद पंचायत टोंकखुर्द द्वारा कूप निर्माण का तकनीकी प्रतिवेदन लागत 2.57 लाख का बनाया था। उक्त प्राक्कलन के आधार पर सहायक यंत्री जनपद पंचायत टोंकखुर्द द्वारा 2.57 लाख की राशि स्वीकृत की गयी थी। लेकिन उक्त राशि मे से आरोपीगण द्वारा 1.50 लाख रूपये का ही मजदूरी राशि का भुगतान करने हेतु दिये थे एवं शेष राशि 01 लाख रूपये आरोपीगण द्वारा फर्जी बिल बनाकर अपने निजी उपयोग के लिये आहरित कर लिये थे।
इस प्रकार प्रकरण के संपूर्ण विवेचना से एवं कार्यालीन यंत्री, ग्रामीण यंात्रिकी सेवा संभाग देवास व परियोजना अधिकारी जिला पंचायत देवास द्वारा की गयी। जाॅंच उपरांत उपायुक्त उज्जैन संभाग उज्जैन को प्रेषित जाॅंच प्रतिवेदन अनुसार पाया गया कि शासन की राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत वर्ष 2011-12 मे कपिल धारा योजना के तहत नवीन कूप निर्माण हेतु कृषक गजराज सिंह मकवाना का चयन होने के बाद, हितग्राही द्वारा ही कूप का निर्माण करवाया जाकर मजदूरी एवं सामग्री की राशि का भुगतान किया गया था। किन्तु लोकसेवक आरोपीगण 1.श्रीमती गीताबाई, सरपंच, ग्राम पंचायत आगरोद, जनपद पंचायत टोंकखुर्द जिला देवास 2. जगदीश चंद्र सोलंकी, सचिव, ग्राम पंचायत आगरोद, जनपद पंचायत टोंकखुर्द जिला देवास द्वारा आपराधिक साठगांठ करके पद का दुरूपयोग कर हितग्राही के नाम से अनुदान राशि 2.57 लाख रू0 स्वीकृत कर, मात्र 1.50 लाख रू0 हितग्राही को आवंटित कर शेष राशि 1 लाख रूपये अपने निजी उपयोग मे लेकर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गयी।
निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा -13(1)डी, 13(2)एवं धारा 406 ,420, 467, 468, 471, 120बी भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया जा कर विवेचना पूर्ण कि जाकर विशेष न्यायालय देवास में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिस पर विशेष न्यायालय देवास द्वारा विचार और उपरांत उक्त प्रकरण में दोषसिद्ध आदेश पारित किया गया है।
आरोपीगण गीताबाई एवं जगदीश को दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-13(2) में 4 वर्ष, भारतीय दण्ड सहिता की धारा 409 में 7 वर्ष, भा0द0स0 की धारा 420 मे 3 वर्ष, भा0द0स0 की धारा 467 में 7 वर्ष, भा0द0स0 की धारा 468 में 3 वर्ष एवं भा0द0स0 की धारा 471 में 7 वर्ष का सश्रम कारावास से दण्डित किया एवं उक्त सभी धाराओं में कुल 50,000 हजार रूपये का दोनो आरोपी पर पृथक-प्रृथक अधिरोपित किया।
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