देवास/खातेगांव। खातेगांव के जामनेर गाँव में संदिघ्ध रूप से आठ वर्षीय बालक में चमकी यानि दिमागी बुखार के लक्षण देखे गए। हालाकिं डॉक्टर्स ने इस बुखार की पुष्टि नहीं की है लेकिन लक्षण दिमागी बुखार जैसे ही बताए हैं। देवास में इस बीमारी के परिक्षण की सुविधा नहीं है। गंभीर बीमार बालक असलम को इंदौर रेफ़र किया गया जहाँ आज सुबह पांच बजे बच्चे की मौत हो गई जिसकी पुष्टि बच्चे के मामा ने की है। उल्लेखनीय है की बिहार के मुज्जफरनगर में चमकी से डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चों की अब तक मौत हो चुकी है।
खातेगांव तहसील के जामनेर के 8 वर्षीय बालक असलम पिता इब्राहिम खां को शुक्रवार देर रात तेज बुखार आया। परिवार ने गांव के ही बंगाली डॉक्टर से इसका इलाज करवाया। लेकिन रात में बुखार नही उतरा और उल्टियां शुरू हो गई। शनिवार सुबह परिजन बालक को खातेगांव सरकारी अस्पताल लेकर आये। बच्चा लगभग बेहोंशी की हालत में था और सीरियस था। डॉक्टर चम्पा बघेल ने उसे प्राथमिक उपचार देकर हरदा रेफर किया। हरदा जिला चिकित्सालय में बालक को एडमिट ही नही किया गया, डॉक्टरों ने कहा मामला गम्भीर है, इसका इलाज यहां सम्भव नही है। आप इसे किसी प्रायवेट हॉस्पिटल में या इंदौर ले जाओ।
परिजनों ने बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए हरदा के पल्स हॉस्पिटल में दिखाया। बच्चे के लक्षण देखते हुए डॉक्टर्स को यह चमकी बुखार लग रहा था। बच्चे की खून की जांचे करवाई गई। जिसमें प्लेटलेट्स कॉफी कम मात्रा में थे। कुछ घण्टे इलाज करने के बाद वेंटिलेटर और जरूरी अन्य मशीनों की सुविधा नहीं होने के कारण यहां भी डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर इंदौर ले जाने की सलाह दी। इंदौर में आज सुबह बच्चे की मौत हो गई।
वो लक्षण जो चमकी बुखार के ज्यादातर मामलों में देखे गए, असलम में भी दिखे-
– बेहोशी आना
– अचानक तेज बुखार आना
– जी मिचलाना और उल्टी होना
– बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस होना
– मिर्गी जैसे झटके आना (जिसकी वजह से ही इसका नाम चमकी बुखार पड़ा)
असलम की ब्लड रिपोर्ट:
हीमोग्लोबिन: 8.8 (11-15.5)
प्लेटलेट काउंट: 0.99 लाख (1.80-4.00 लाख)
WBC काउंट: 19400 (5000-13000)
बच्चे के शुरुवाती लक्षण चमकी बुखार जैसे ही दिख रहे थे, लेकिन हम इसकी पुष्टि नहीं कर सकते। बच्चे की हालत बहुत क्रिटिकल थी। ऐसे केस के लिए जरुरी मशीने हमारे पास उपलब्ध नहीं थी। इसलिए हमने प्रारम्भिक इलाज कर मरीज को इंदौर ले जाने की सलाह दी थी।
– डॉ पवन सोमानी, पल्स हॉस्पिटल, हरदा
क्या है चमकी:
टॉक्सिन शरीर में बीटा ऑक्सीडेशन को रोक देते हैं और हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त में ग्लूकोज का कम हो जाना) हो जाता है एवं रक्त में फैटी एसिड्स की मात्रा भी बढ़ जाती है। चूंकि बच्चों के लिवर में ग्लूकोज स्टोरेज कम होता है, जिसकी वजह से पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज रक्त के द्वारा मस्तिष्क में नहीं पहुंच पाता और मस्तिष्क गंभीर रूप से प्रभावित हो जाता है। इस तरह की बीमारी का पता सबसे पहले वेस्टइंडीज में लीची की तरह ही ‘एकी’ फल का सेवन करने से पता चला था।
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