भोपाल गैस त्रासदी: 33 साल बाद भी ताजा हैं जख्म, हजारों लोग अभी भी बीमारियों की चपेट मेें
भोपाल। विश्व की सबसे भयावह और दर्दनाक औद्योगिक त्रासदी में शामिल भोपाल गैस रिसाव की घटना को भले ही 33 साल बीत गए हों लेकिन इससे पीडि़त हुए परिवारों के जख्म आज भी ताजा हैं। 2 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से बड़ी मात्रा में निकली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर तीन हजार लोग मारे गए थे, जबकि मौतों का वास्तविक आंकड़ा करीब इससे भी तीन गुना ज्यादा था। तीन दशक से ज्यादा बीतने के बाद भी गैस के संपर्क में आने वाले कई लोगों ने शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बच्चों को जन्म दिया है। इस गैस त्रासदी में पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। हजारों लोग की मौत तो मौके पर ही हो गई थी, जिंदा बचे लोग कैंसर सहित सैकड़ों अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।
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