20 साल में रेलवे नहीं दे पाई मुआवजा, कोर्ट ने दिया ट्रेन का इंजन जब्त करने का आदेश
चेन्नई। सडक़ हो रेलवे लाइन या कोई और प्रोजेक्ट… जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजा देने की प्रक्रिया हमारे देश में हर बार आसान नहीं रहती है। कहीं न कहीं कोई न कोई पेंच फंस ही जाता है जिसके बाद मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है। वहां भी कई सालों तक सुनवाई चलती रहती है। तमिलनाडु में रेलवे की एक परियोजना के लिए बीस साल पहले जमीन अधिग्रहित की गई थी और मुआवजा अब तक नहीं मिल सका है। ऐसे में वहां की अदालत ने ट्रेन के इंजन और कलेक्ट्रेट के दो वाहनों को जब्त करने का आदेश सुनाया है। कांचीपुरम की इस अदालत के अधिकारियों ने रेलवे स्टेशन पर जाकर एक यात्री ट्रेन के इंजन को जब्त करने की कोशिश भी की। बताया जा रहा है कि जमीन अधिग्रहण का यह मामला वर्ष 1999 का है। मुमताज बेगम और अन्य लोगों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। मुआवजे की राशि को लेकर बाद में मामला अदालत तक पहुंचा था। अदालत ने अपने आदेश में कांचीपुरम जंक्शन से गुजरने वाली तिरुपति-पुडुचेरी फास्ट पैसेंजर ट्रेन के इंजन और जिला कलेक्टर की दो कारें, टेबल, कुर्सी और चार कंप्यूटर भी जब्त करने का आदेश दिया। उधर रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार को पांच करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है। हम सीधे तौर पर भुगतान नहीं करते, यह मामला राज्य के राजस्व अधिकारियों से जुड़ा है।
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